हौसले बुलंद है - रमा गुप्ता अधिवक्ता
कुमारी रमा गुप्ता का जन्म 06-10-1924 को ग्राम जामुल तहसील व जिला दुर्ग (छ.ग) में एक कृषक परिवार में हुआ। इनके पिताजी श्री लक्ष्मीनाथ जी गुप्ता ग्राम जामुल के कृषक एवं मालगुजार थे। और उनकी छ: संतान है प्रथम कु. रमा गुप्ता, द्वितीय कु. कृष्णा गुप्ता, तृतीय कु. चन्द्रावली गुप्ता, चतुर्थ श्रीमती कत्यायनी नायडृ पांचवी श्रीमती प्रेमलता कांकरिया (जिनका स्वर्गवास हो चुका है) छठवी यशपाल गुप्ता इस प्रकार पांच पुत्रियां एवं एक पुत्र है। इनमें कु. रमा गुप्ता बड़ी बहन है। ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी कु.रमा गुप्ता बचपन से ही बड़ी साहसी एवं संघर्षशील रही है इनके पिताजी उस जमाने में जब हिन्दुस्तान अंगे्रजों के आधीन था और शिक्षा का प्रचार प्रसार कम लोगों में ही था, भारतीय जनमानस लड़कियों के शिक्षा के खिलाफ था तथा शिक्षा की किरण गावं से बहुत दूर थी उस समय लड़कियों को पढ़ाने के प्रति भारतीय समाज में रुझान नहीं था उस समय इनके पिताजी ने परिवार के इच्छा के विरुद्ध अपनी सभी लड़कियों को पढ़ाया ताकि लड़कियां भी अपने पैर पर खड़ी हो सके। स्वावलंबी बन सके इस प्रकार पिता का शिक्षा के प्रति बहुत लगाव होने से कु.रमा गुप्ता उनकी इच्छा के अनुरुप ही शिक्षा अध्ययन में रम गई। और आज विधिक जगत में उनका नाम बहुत ही सम्मान से लिया जाता है। कु.रमा गुप्ता को लोग श्रद्धा एवं प्यार से दीदी ही सम्बोधित करते है।
'नारी शिक्षा का अलख जगाने, लक्ष्मीनाथ ने किया प्रसास। रमा उसमें रम गई, हो गया उनका पूर्ण विकास।।'
दीदी ने प्रायमरी पाठशाला जामुल तह.जिला दुर्ग में प्रायमरी शिक्षा ग्रहण की वही से उनके शैक्षणिक जीवन का श्री गणेश हुआ। और आगे शिक्षा हेतु उनके पिताजी बच्चों के साथ जिला मुख्यालय दुर्ग आ गये और यही बस गये। और इस प्रकार दुर्ग दीदी का गृह नगर है। हायर सेकंडरी शिक्षा सागर विद्यालय सागर में हुई तथा बी.ए. स्नातक की परीक्षा नागपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध छत्तीसगढ़ महाविद्यालय से उत्तीर्ण किया। उसके बाद कु. रमा गुप्ता आगे कानून की पढ़ाई बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय बनारस में सन् 1946-47 में की। वे जहां एल.एल.बी. की प्रथम महिला छात्रा थी।वे बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के ला कालेज युनियन की कार्यकारिणी की सदस्या थी। उस समय सर एस.राधाकृष्णनजी बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर के पद को सुशोभित कर रहे थे।
दीदी ने सन् 1948 में एल.एल.बी. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। तदोपरांत दीदी ने सन् 1949 में नागपुर में विधिक व्यवसाय प्रारंभ किया उस समय दुर्ग सी.पी एवं बरार स्टेट में आता था और राज्य की राजधानी नागपुर थी तथा होई कोर्ट भी नागपुर में था उस समय दो साल तक जिलान्यायालय में वकालत करने पर ही हाई कोर्ट में वकालत करने हेतु नामांकन प्रदान किया जाता था। अत: दीदी ने दो साल तक नागपुर में निम्र न्यायालय में वकालत किया। दीदी के अनुसार उस समय हाई कोर्ट में नामांकन की प्रक्रिया यह थी कि डिविजन बेंच के सामने विधि अनुसार शपथ ग्रहण करना पड़ता था। उसके बाद ही उसे हाई कोर्ट में एडव्होकेट के रुप में नामांकन किया जाता था और दीदी ने इसी प्रक्रिया का पालन कर दिनांक 27-10-1951 में नागपुर हाईकोर्ट में वकालत हेतु नामांकित हुई। उनका नामांकन क्रमांक 25/1951 है और इस प्रकार कु.रमा गुप्ता ने नागपुर होई कोर्ट में 1951 से वकालत प्रारंभ किया। वे नागपुर हाई कोर्ट में द्वितीय महिला एडव्होकेट थी। वहां उन्होंने अक्टूबर सन् 1956 तक वकालत की और उस समय राज्यों के पुर्नगठन के कारण सी.पी एवं बरार राज्य न होकर अब मध्यप्रदेश बन गया और दुर्ग उसमें समाहित हो गया। इस प्रकार मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल थी और हाई कोर्ट जबलपुर था। अत: कु.रमा गुप्ता को नागपुर छोड़कर जबलपुर जाना पड़ा और वह नवम्बर 1956 से जबलपुर अधिवक्ता संघ की संस्थापक सदस्या है। तथा म.प्र. हाई कोर्ट में वे डिप्टी शासकीय अभिभाषक एवं शासकीय अभिभाषक भी थी। वे म.प्र. की पहली महिला उपमहाधिवक्ता थी। जिन्होंने यह गौरव हासिल किया। उन्होंने म.प्र. हाई कोर्ट में डिप्टी एडव्होकेट जनरल की हैसियत से जून 1990 तक कार्य किया था। और अब वे प्रायवेट प्रेक्ट्रीस हाई कोर्ट में कर रही है। म.प्र. उनका नामांकन क्रमांक एम.पी.25/1951 है तथा माननीय म.प्र. हाई कोर्ट जबलपुर ने अपने नोटीफिकेशन दिनांक 13-07-2000 द्वारा उन्हें सिनियर एडव्होकेट नामांकित किया गया तथा उन्हें सिनियर एडव्होकेट की सूची में नया नामांकन क्रमांक एम.पी./2/2000/स्श्वहृ/्रष्ठङ्क.है तथा म.प्र. हाई कोर्ट के इतिहास में कु. रमा गुप्ता ही एक मात्र प्रथम महिला जिन्हें यह सम्मान मिला। दीदी ने नवम्बर 1956 से अक्टूबर 2000 तक उच्च न्यायालय में वकालत किया। वे कुछ समय तक कांगे्रस ऑर्गनाइजेशन की सक्रिय सदस्या रही। कुछ समय तक फ्री लिगल एडबोर्ड की सदस्या रही। दीदी म.प्र. हाई कोर्ट में फ्री लिगल एडकमेटी की सदस्या रही तथा रेड क्रास की भी सदस्या रही। दीदी ऑल इंडिया विमेन्स कान्फ्रेस जबलपुर ब्रांच की सक्रिय सदस्या तथा शाखा प्रतिनिधि रही। वे फेमली प्लानिंग एसोसियेशन जबलपुर की शाखा प्रतिनिधि भी रही। उन्होंने लिगल एड फार विमेन्स के सेंटर का भी ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेस के सहयोग से प्रारंभ किया। वे भारत कृषक समाज की भी आजीवन सदस्या है। पुन: राज्य के पुर्नगठन के कारण दुर्ग छ.ग. राज्य में समाहित होने के वजह से कु.रमा गुप्ता ने अक्टूबर 2000 के बाद अर्थात नवम्बर 2000 से छ.ग. उच्च न्यायालय बिलासपुर में वकालत प्रारंभ किया। और अभी 85 साल की उम्र में भी वे वकालत कर रही है। उनके हौसले अभी भी बुलंद है। उनका जीवन प्रेरणादायी है। वे बड़ी सरल स्वभाव की है और सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करती है। उनका दुर्ग से बहुत लगाव है। छ.ग. में उनका नामांकन क्रमांक सी.जी./25/1951/एड है। म.प्र. उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ जबलपुर ने स्वर्ण जयंती वर्ष 2005-06 में श्रद्धेय कु.रमा गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं संस्थापक सदस्य म.प्र. उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ जबलपुर का दिनांक 10.12.2005 में भारत के वित्त मंत्री श्री पी.चिदम्बरम के मुख्य आतिथ्य एवं म.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति माननीय श्री अनंग कुमार पटनायक की अध्यक्षता में दीदी का अभिनंदन किया गया और उन्हें स्वर्णिम अभिनंदन पत्रम् भी दिया गया। इस प्रकार विधि जगत में कु.रमा गुप्ता का योगदान महन्वपूर्ण रहा है। कु.रमा गुप्ता के अनुसार विधि व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हर वकील को अपना अस्तित्व कायम रखने के लिये संघर्ष करना पड़ता है। चाहे वह महिला हो या पुरुष, विशेष कर महिलाओं को इस क्षेत्र में जमने के लिए कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी पड़ती है।
चित्र 1 कु.रमा गुप्ता भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश महामहिम श्री एच.एच.बेग के साथ
चित्र 2 कु.रमा गुप्ता भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी का स्वागत करते हुए
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