हमारे गौरव

श्री शान्तनु देशलहरा

श्री शैलेष शर्मा

श्री रुप नारायण पठारे

दुर्ग । अ.वा. । वर्ष २००८ में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ द्वारा प्रथम बार आयोजित सिविल जज परीक्षा में (जैसा हमने पिछले अंक में जानकारी दी थी कि हमारे दुर्ग जिला न्यायालय में ७ अधिवक्ताओं ने मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर साक्षात्कार हेतु चयनीत होकर हमारा गौरव बढ़ाया था) । उन्हीं ७ अधिवक्ताओं में से तीन अधिवक्ताओं सर्वश्री शैलष शर्मा आत्मज श्री जनार्दन प्रसाद शर्मा वरि. अधिवक्ता-दुर्ग, शांतनु कुमार देशलहरा आत्मज श्री सी.आर. देशलहरा तथा श्री रुप नारायण पठारे आत्मज श्री तिरिथ राम पठारे का चयन सिविल जज के रुप में हो गया है । कम उम्र में इन तीनों युवा अधिवक्ताओं को प्राप्त इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर हमें गर्व है । चयनीत न्यायाधीश शांतनु कुमार देशलहरा ने अभिभाषक वार्ण से चर्चा के दौरान बताया कि वे मूलत: किसान परिवार से हैं तथा पाटन के ग्राम धूमा में रहने वाले हैं । सन् २००२ से वकालत के व्यवसाय में उतरे देशलहरा जी के पिता श्री सी.आर. देशलहरा बी.एस.पी. से सेवानिवृत्त हो चुके हैं । एम.ए. अंग्रेजी की शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात शांतनु ने कल्याण विधि महाविद्यालय भिलाई से एल.एल.बी. की उपाधि ग्रहण की तथा उन्होंने सिविल जज की परीक्षा तीन बार दी परन्तु सफल नहीं हुए । इस प्रतियोगी परीक्षा में अपनी सफलता का श्रेय वे सेल्फ स्टडी को देते हैं तथा सच्ची लगन और मेहनत को अपना मूल मंत्र मानते हैं । शान्तनु अपना आदर्श अपने पिता को मानते हैं तथा पिता के पढ़े-लिखे नहीं होने के बावजूद उन्हें आज इस मुकाम पर पहुँचाने का श्रेय देते हैं । शांतनु मानते हैं कि एक अधिवक्ता ही एक अच्छा न्यायाधीश बन सकता है । वकालत के बावजूद रात में ४-ण्‍ घण्‍टे और सुबह १-२ घण्‍टों की पढ़ाई के पश्चात इस परीक्षा में सफल हुए शांतनु का ख्वाब उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने का है ।

दुर्ग । अ.वा. । वर्ष २००८ में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ द्वारा प्रथम बार आयोजित सिविल जज परीक्षा में (जैसा हमने पिछले अंक में जानकारी दी थी कि हमारे दुर्ग जिला न्यायालय में ७ अधिवक्ताओं ने मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण कर साक्षात्कार हेतु चयनीत होकर हमारा गौरव बढ़ाया था) । उन्हीं ७ अधिवक्ताओं में से तीन अधिवक्ताओं सर्वश्री शैलष शर्मा आत्मज श्री जनार्दन प्रसाद शर्मा वरि. अधिवक्ता-दुर्ग, शांतनु कुमार देशलहरा आत्मज श्री सी.आर. देशलहरा तथा श्री रुप नारायण पठारे आत्मज श्री तिरिथ राम पठारे का चयन सिविल जज के रुप में हो गया है । कम उम्र में इन तीनों युवा अधिवक्ताओं को प्राप्त इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर हमें गर्व है । चयनीत न्यायाधीश शांतनु कुमार देशलहरा ने अभिभाषक वार्ण से चर्चा के दौरान बताया कि वे मूलत: किसान परिवार से हैं तथा पाटन के ग्राम धूमा में रहने वाले हैं । सन् २००२ से वकालत के व्यवसाय में उतरे देशलहरा जी के पिता श्री सी.आर. देशलहरा बी.एस.पी. से सेवानिवृत्त हो चुके हैं । एम.ए. अंग्रेजी की शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात शांतनु ने कल्याण विधि महाविद्यालय भिलाई से एल.एल.बी. की उपाधि ग्रहण की तथा उन्होंने सिविल जज की परीक्षा तीन बार दी परन्तु सफल नहीं हुए । इस प्रतियोगी परीक्षा में अपनी सफलता का श्रेय वे सेल्फ स्टडी को देते हैं तथा सच्ची लगन और मेहनत को अपना मूल मंत्र मानते हैं । शान्तनु अपना आदर्श अपने पिता को मानते हैं तथा पिता के पढ़े-लिखे नहीं होने के बावजूद उन्हें आज इस मुकाम पर पहुँचाने का श्रेय देते हैं । शांतनु मानते हैं कि एक अधिवक्ता ही एक अच्छा न्यायाधीश बन सकता है । वकालत के बावजूद रात में ४-ण्‍ घण्‍टे और सुबह १-२ घण्‍टों की पढ़ाई के पश्चात इस परीक्षा में सफल हुए शांतनु का ख्वाब उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने का है ।

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