गर्भपात कानून में सुधार की जरुरत :. वंदना राय, शास. अधिवक्ता, दुर्ग

गर्भपात कानून में सुधार के सुझाव देने के लिए केन्द्रिय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है । यह सराहनीय है तथा हम यह उम्मीद करें कि इसका परिणाम सकारात्मक प्राप्त हो - क्योंकि मौजूदा कानून के तहत् गर्भपात की छूट - १) २० सप्ताह तक का गर्भ होने पर । २) गर्भवती महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा पैदा होने पर । ३) जन्म के बाद शिशु में शारीरिक या मानसिक विकृति या उसके अपंग होने का खतरा होने पर प्राप्त है ।

गर्भपात कानून में सुधार हेतु विचार तब आया जब मुम्बई के निकेता और हरीश मेहता के द्वारा मुम्बई हाई कोर्ट में प्रस्तुत अर्जी के अनुसार निकेता के गर्भ में पल रहे २४ सप्ताह के भ्रूण के हृदय में छेद होने के कारण गर्भपात की अनुमति हेतु पेश की गई थी, और जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था ।

इसके पश्चात केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भपात कानून में सुधार के सुझाव हेतु एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया ।

गर्भपात कानून में सुधार आवश्यक है क्योंकि आज भी ऐसे अनेक परिवार है जो चिकित्सीय खर्च उठाने में, तथा इस प्रकार जन्में शिशु के लालन-पालन तथा उचित देखभाल करने में सक्षम नहीं है । वैसे भी हर माता-पिता की यह इच्छा होती है कि उसका शिशु स्वस्थ्य हो तथा उनके जीवन में ढ़ेर सारी खुशियाँ हो । ऐसे में यदि किसी दम्पत्ति को चिकित्सीय जाँच के दौरान यह जानकारी प्राप्त हो कि जो शिशु उनके जीवन में आ रहा है या उन्हें प्राप्त होने वाला है वह जन्म के साथ ऐसे रोग से ग्रसित है जिसकी पीड़ा वह जिन्दगी भर लेकर जीने हेतु मजबूर होगा ।

इस तरह किसी स्त्री के गर्भ में पल रहा भ्रूण का विकसित व स्पष्ट रुप २३-२४ सप्ताह के पश्चात् ही देखा जा सकता है, और उसके पश्चात ही उस भ्रूण के संबंध में उचित निर्णय लिया जा सकता है । और यदि जन्म के पश्चात शिशु को होने वाले रोग की पूर्ण जानकारी उस दम्पत्ति को बतायी जाती है तब उनके द्वारा गर्भ में पल रहे भ्रूण का गर्भपात कराने की इच्छा पर सहमति हेतु मौजूदा कानून में समय सीमा २४ सप्ताह तक का संशोधन किया जाना उचित होगा । यदि सरकार समिति की रिपोर्ट के आधार पर गर्भपात कानून में संशोधन करने का विचार करती है, तब पीड़ित व्यक्तियों को इसका उचित लाभ प्राप्त हो सकेगा । और इस प्रकार गर्भपात कानून में २४ सप्ताह तक गर्भपात कराना वैध हो सकेगा ।

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