ड्रेस कोड : किलेश्वरी सांडिल अधिवक्ता, दुर्ग
वर्तमान समय में बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ, होटलों आदि में निश्चित ड्रेस कोड का इस्तेमाल किया जाने लगा है, क्योंकि ड्रेस कोड के महत्व को वर्तमान समय में नकारा नहीं जा सकता । यही कारण है कि आर्मी, पुलिस, नेवी, एयरफोर्स इत्यादि में ड्रेस कोड का इस्तेमाल अनिवार्य रुप से किया जाता है । वकालत का क्षेत्र अपने आप में एक नोबल प्रोफेशन है । यही कारण है कि इस व्यवसाय के लिये भी प्रोफेशनल इथिक्स में निश्चित ड्रेस कोड तय किया गया है जिसके अनुसार प्रत्येक पुरुष अधिवक्ता को सफेद रंग की शर्ट एवं काले रंग में सफेद धारियों या सफेद रंग वाला पैंट एवं महिलाओं के लिये सफेद पोशाक के साथ समस्त अधिवक्ताओं को काले रंग का कोट एवं सफेद रंग का बैण्ड अनिवार्य रुप से धारण करने हेतु निर्देशित किया गया है ।
किन्तु जिला न्यायालयों में अक्सर यह देखने को मिलता है कि अधिवक्तागण का ड्रेस कोड गायब रहता है और बैण्ड पहनते है तो कोट पहनने से बचते हैं और जिस दिन कोट और बैण्ड दोनों पहनते है उस दिन उनकी शर्ट या पोशाक का रंग, रंग बिरंगा होता है । निश्चित ही इस तरह का कृत्य व्यवसायिक सिद्धांतों के अनुरुप नहीं है । इसलिये अच्छे व्यवसायी बनने हेतु इस तरह के कृत्य से बचना चाहिए ।
समस्त अधिवक्तागण ड्रेस कोड को अपने कर्तव्य (ड्यूटी) का हिस्सा समझे तो निश्चित ही उनके स्वयं के व्यक्तित्व में भी निखार आयेगा क्योंकि एक निश्चित ड्रेस कोड से व्यक्ति के व्यक्तित्व का आकर्षण बढ़ता है साथ ही व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की वृद्धि होती है । निश्चित ड्रेस कोड का प्रयोग प्रतिदिन करने से अधिवक्ता संघ भी अनुशासित दिखाई पड़ता है साथ ही समस्त संघ एकता के सूत्र में बंधा हुआ प्रतीत होता है ।
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