पूंजी कैसे बढ़ाएं
मनोज कुमार ताम्रकार, अधिवक्ता, दुर्ग
(आयकर, वाणिज्यकर, सर्विसकर)
प्रत्येक व्यक्ति अपना व्यवसाय एवं आय बढ़ाने की दिशा में सतत् कार्यरत् रहता है परन्तु योजनाबद्ध तरीके से प्लान नहीं करने के कारण अपनी सम्पूर्ण आय के अधिकत्म भाग की जानकारी अपने बैलेन्स शीट में नहीं दे पाता ।
व्यक्ति का पूर्ण ध्यान टैक्स को बचाने की दिशा में रहता है अतएव वह अपनी आय के अधिकतम भाग को प्रदर्शित नहीं कर पाता जिससे आय का अधिकतम भाग आम बोलचाल के शब्दों में दो नम्बर का कहा जाना लगता है । ऐसी स्थिति में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बैलेंस शीट में कमजोर दिखने लगती है जिसके कारण जितनी प्रगति परिवार एवं व्यवसाय की होनी चाहिए वह नहीं हो पाती । उक्त समस्या के निवारण हेतु व्यक्ति को प्रारंभ से ही आयकर की योजना बनाकर चलनी चाहिए जिसेस न तो उसे कर चोरी करनी पड़ेगी और न ही उसकी बैलेंस शीट की स्थिति कमजोर नजर आएगी । वह आयकर के प्रावधानों को समझकर व उनका पालन कर अपनी पूंजी बढ़ा सकता है ।
पूंजी बढ़ाने के लिए सर्वप्रथम अपने लिए आयकर स्थायी लेखा संख्या (सश्ु) नं. प्राप्त करें जोकि यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया या नेशनल सेक्यूरिटीस डिपाजिट लि. (ुग्ननण) में फार्म नं. ४९/ए में आवेदन द्वारा अपना ३.५ ट्ठ २.५ से.मी. के रंगीन फोटो, परिचय एवं पता प्रमाण हेतु निर्धारित दस्तावेज व शुल्क के साथ जमा किया जा सकता है। आवेदन के एक सप्ताह के बाद वेबसाईट पर नं. उपलब्ध हो जाता है । पंजीकृत डाक या कोरियर से दिये गये पते के साथ पैन कार्ड भेज दिया जाता है ।
यह ज्ञात हो कि पैन नं. लेना कानूनन अनिवार्य है जिनकी आय कर योग्य हो, धर्मार्थ या पूण्यार्थ ट्रस्ट जो आय प्राप्त करती है, ५०,००० रु. जमा कराने पर, ५ लाख से अधिक वार्षिक बिक्री होने पर, केन्द्रीय पंजीयन कराने पर व ५ लाख रु. से अधिक की अचल संपत्ति खरीदने पर।
आप अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए पैन नं. की प्राप्ति पश्चात अपनी वार्षिक आय को स्व: कर निर्धारण के तहत् आयकर विवरणी जमा कर सकते हैं । आप आयकर नियमों को समझें डरे नहीं । आप अपने नाबालिग बच्चों के लिए योजना तैयार करें, आयकर बचत योजनाआें में निवेश करें, अल्पावधि पूंजी लाभ पर आयकर अदा कर पूंजी बढ़ायें, संयुक्त हिन्दू परिवार की विवरणी तैयार करें, कृषि आय की जानकारी दें व अल्पावधि एवं दीर्घावधि पूंजी लाभ प्राप्त करें ।
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