विधि व्यवसाय - भविष्य की ओर बढ़ते कदम एवं चुनौतियाँ

जिला अधिवक्ता संघ द्वारा आयोजित निबंध प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान घोषित निबंध

विधि या कानून के बिना एक सभ्य समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती । जिस समाज में विधि नहीं होती उस समाज का कोई आस्तित्व ही नहीं रहता है । आदि काल से ही हम जानते हैं कि विधि का हमारे जीवन में कितना महत्व है । हमारे आदि कवि गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि ``विधि विपरित न होत भलाई'' अर्थात बिना विधि या कानून के किसी समाज का भला नहीं हो सकता ।
जहाँ एक ओर समाज के लिए कानून आवश्यक है वहीं दूसरी ओर इस कानून के द्वारा समाज में पीड़ित जनता के अधिकार एवं सुरक्षा की लड़ाई लड़ने के लिए विधि व्यवसायियों हेतु ``विधि व्यवसाय'' एक ऐसा क्षेत्र हैं जिसमें आज अनेक लोग जुड़े हुए हैं । प्रत्येक वर्ष हजारों छात्र विधि स्नातक होकर महाविद्यालयों से निकलते हैं, और इस व्यवसाय से जुड़ जाते हैं । हमारे देश में जहाँ बेरोजगारी बढ़ी है उसके चलते आज विधि व्यवसाय को अपनाने वाले भी बढ़े हैं जिससे इस क्षेत्र में काफी चुनौतियाँ एव ंप्रतिस्पर्धा बढ़ चुकी है । एक विधि व्यवसायी को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । आज न्यायालय परिसरों का हाल यह है कि जितने पक्षकार नहीं होते उससे ज्यादा तो विधि व्यवसायी न्यायालय में नजर आते हैं । जिससे साफ नजर आता है कि विधि व्यवसायियों में प्रतिस्पर्धा कितनी बढ़ गयी है ।
परन्तु आज भी कुशल और जानकार ``कानून विदों'' कि कमी इस क्षेत्र में हैं । विधि व्यवसायियों की संख्या तो बढ़ी है मगर अच्छे विधि व्यवसायी गिने - चुने ही नजर आते हैं । विधि व्यवसायियों की एक विडम्बना ये भी है कि समाज में हो रही अपराधो और अन्याय के बीच जहाँ उसे न्याय और अन्याय की लड़ाईयों का प्रतिनिधित्व करना पड़ता है वही उसे दूसरी ओर इन्हीं सबके बीच अपना रोजगार भी तलाशना है । यह काम इतना आसान नहीं होता । लेकिन विधि का क्षेत्र बहुत ही व्यापक हैं इसमें ऐसे अनेक आयाम है जिनमें से एक अच्छा कानूनविद् अपनी योग्यता से सफलता हासिल कर सकें ।
आज विधि व्यवसाय के क्षेत्र में जहाँ चुनौतियाँ हैं वहाँ अपने वाले भविष्य में कई अवसर भी मौजूद है, बस जरुरत है तो इस क्षेत्र में अपने ज्ञान को विस्तृत करने की । आज आधुनिक भारत में ऐसे कई क्षेत्र है जिसमें योग्य विधि व्यवसायियों की आवश्यकता है । आज कई विदेशी कम्पनियाँ हैं जो भारतीय बाजार में निवेश कर रही है इन कम्पनियों के निवेश के कारण रोजगार के नये-नये अवसर भी उपलब्ध हुए हैं जिनके चलते विधि व्यवसायियों की भी आवश्यकता बढ़ी हैं । विधिक सलाहकार, आयकर अधिकारी, बैंक, बीमा एवं साइबर लॉ जैसे अनेक क्षेत्रों में विधि व्यवसायियों के लिए काफी सम्भावना है, जिनसे वे सफलता हासिल कर सकें ।
आमतौर पर विधि व्यवसायियों का कार्यक्षेत्र परंपरागत होने के कारण आज प्रतिस्पर्धा कुछ ज्यादा ही है । ज्यादातर विधि व्यवसायी परंपरागत तौर पर ही इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं । जबकि उन्हें चाहिए कि वे आज की आवश्यकता के अनुसार नये-नये क्षेत्रों में आने वाले अवसरों को पहचाने और उन विधियों का भी अध्ययन करें जिनकी सम्भावनायें भविष्य में अधिक है । साइबर लॉ, कम्पनी विधि, अन्तर्राष्ट्रीय विधि एवं विधिक सलाहकार जैसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें विधि व्यवसायियों के लिए काफी सम्भावनाएं हैं परन्तु हमारे आस-पास बहुत कम ही लोग मिलते हैं जिन्हें इन क्षेत्रों का अच्छा ज्ञान हो । जो लोग इन क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं उनमें भी तकनीकी (विधि) ज्ञान की कमी देखने को मिलती है । यदि हम इन क्षेत्रों में थोड़ा और अच्छा प्रयास करें तो एक अच्छे विधि व्यवसायी बन सकते हैं ।
इसके साथ ही आज विधि पाठ्यक्रमों में भी बदलाव लाने का आवश्यकता है जिससे आने वाले विधि के छात्र परंपरागत विधि के साथ ही साथ आधुनिक क्षेत्रों में बन रही नई विधियों की भी जानकारी रखे ंऔर इन क्षेत्रों में अवसर को तलाशें । इस क्षेत्र में एक समस्या यह भी है, जो विधि व्यवसाय के लिए बहुत बड़ी बाधा या चुनौती है, जिसके चलते अधिकांश विधि व्यवसायी इससे दूर हो जाते हैं, वरिष्ठ विधि व्यवसायियों का नये विधि व्यवसायियों के साथ सामन्जस्य ना करना। अधिकांश विधि व्यवसायी अपने साथ कार्य कर रहे नये विधि व्यवसायियों को विधिक जानकारियाँ देने से संकोच करते हैं एव सही दिशा निर्देश नहीं देते । जिसके चलते भी नये विधि व्यवसायियों को विधिक जानकारियाँ देने में संकोच करते हैं एवं सही दिशा निर्देश नहीं देते । जिसके चलते भी नये विधि व्यवसायियों को काफी परेशानी होती हैं तथा अक्सर वे इस व्यवसाय को छोड़ देते हैं । वरिष्ठ विधि व्यवसायियों का यह दायित्व बनता है कि वह आने वाले विधि व्यवसायियों को एक सफल विधि व्यवसायी बनने में सहयोग प्रदान करें जिससे हमारे समाज को एक कुशल विधि व्यवसायी मिल सकें .
आज के दौर में व्यवसाय चाहे जो भी हो प्रत्येक क्षेत्र में चुनौतियाँ तो हैं ही जिससे ``विधि व्यवसाय'' भी अछूता नहीं हैं । बिना चुनौतियों का सामना किए किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं की जा सकती और चुनौतियों से डर से हम किसी क्षेत्र में भाग नहीं सकतें, क्योंकि ``डर के आगे ही जीत होती है'' । विधि व्यवसाय के क्षेत्र में भी, जरुरत है तो बस कठिन मेहनत और धैर्य के साथ कार्य करने की, फिर तो जीत निश्चित ही, इस व्यवसाय में औरों के मुकाबले बेहतर अवसर भी हैं । भविष्य में आने वाले अवसरों को पहचान कर उस दिशा में यदि हम अच्छे प्रयास करें तो सफलता हमें जरुर मिलेगी और विधि व्यवसाय को हम एक नया आयाम दे सकेंगे । क्योंकि ....
``कठोर कर्म की गर्मी से
पत्थर वक्त भी पिघलता है,
वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा,
कर्मवीर को ही मिलता है ।।''

नीरज कुमार शर्मा, अधिवक्ता, दुर्ग

0 comments:


अभिभाषक वाणी परिवार

श्री सुशील कुमार त्रिपाठी
(प्रधान संपादक)

श्री शकील अहमद सिद्दीकी
(संपादक)

श्री ताराचंद शर्मा
(प्रबंध संपादक)

सलाहकार मंडल

सर्वश्री जनार्दन प्रसाद शर्मा, संतोष चतुर्वेदी, बृजेन्द्र गुप्ता, रामेश्वर प्रजापति, सुदर्शन महलवार, समीर त्रिपाठी, नवजीत कुमार रमन, राजेश महाडिक, सुश्री कंचनबाला सिंह, शिव प्रसाद कापसे, टी.पी.सी.गुप्ता, भारत स्वर्णकार, मो.सगीर, मुरली देवांगन, यजवेन्द्र सिंह, सुभाष सतपथी, मो. मुनीर एवं कुमारी किलेश्वरी शांडिल्य।


मोबाईल संपर्क - 09926615707

  © Blogger template 'Greenery' by Ourblogtemplates.com 2008. और इसे अपने अनुकूल बनाया अभिभाषक वाणी के लिए संजीव तिवारी नें

Back to TOP