सदोपदेश

अजीत सिंह राजपूत

अधिवक्ता, दुर्ग



? अतिथि सत्कार से यश प्राप्त होता है ।

? अहंकार जीवन को नष्ट कर देता है ।

? शंका मनुष्य को अंधा बना देता है ।

? विश्वास ही ईश्वर की सच्ची पूजा है ।

? परोपकार ही सच्ची सेवा है ।

? दूसरों को दु:ख पहुँचाना पाप है ।

? दूसरों के सुख के लिये कार्य करना पुण्य है।

? जिस पर प्रभु की कृपा होती है उसका अभिमान नष्ट हो जाता है ।

? जिसमें दया, करुणा, ममता, प्रेम हो वही मनुष्य है ।

? सबसे बड़ा धर्म सेवा है ।

संत

? जो बुराईयों पर विजय प्राप्त करे वही संत है।

? जो असत्य पर विजय प्राप्त करे वही संत है।

? जो अहिंसा पर विजय प्राप्त करे वही संत है।

? जो सबसे सरल हो वही संत है ै।

? जो दूसरों के लिए जीता है वही संत है ।

प्रेम

? प्रेम का कोई आकार नहीं होता ।

? जो स्वार्थ रहित है वही प्रेम है ।

? प्रेम शरीर से नहीं आत्मा से होता है ।

? प्रेम परमात्मा का ही रुप है ।

अनुभव

ं पाप ही पुण्य का अनुभव कराता है

नुभव

? पाप ही पुण्य का अनुभव कराता है ।

? असत्य ही सत्य का अनुभव कराता है ।

? दु:ख ही सुख का अनुभव कराता ह ै।

? अंधकार ही प्रकाश का अनुभव कराता है ।


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