विधि व सूचना क्रांति
संजीव तिवारी
संचार सूचना क्रांति के इस युग में विधि का क्षेत्र भी अछूता नहीं है । देशभर के न्यायालय अब इस तकनीक से आपस में एक दूसरे से जुड रहे हैं एवं कागजी सूचनाओं का आदन प्रदान अब इंटरनेट व लेन पद्धतियों के माध्यम से त्वरित रूप से संभव हो रहा है । हालांकि अभी इससे लंबित मामलों के निराकरण पर कोई उल्लेखनीय सफलता तत्काल प्राप्त न हो । किन्तु इसे एक अच्छी शुरूआत कहा जा सकता है जिसके दूरगामी परिणाम न्याय हित में नजर आ रहा है । भारतीय न्याय व्यवस्था में इसके ब्यापक प्रयोग हेतु राष्ट्रीय नीति एवं प्रौद्योगिकी पर गठित ई समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद अदालतों के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना तैयार की गई है जिसे ई-कोर्ट परियोजना का नाम दिया गया है । इसके क्रियान्वयन के उपरांत न्याय विभाग भी संचार क्रांति की मदद से जनसुलभ एवं तीव्र गति से कार्यनिष्पादन में सक्षम हो जावेगा । ई –कोर्ट न्यायिक विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों को सुदृढ करने का कार्य कर रही है साथ ही न्याय विभाग अधिवक्ताओं, मुवक्किलों व जनसामान्य के लिये वर्तमान में इंटरनेट के द्वारा सूचना एवं अन्य जानकारी उपलब्ध करा रही है । यह संपूर्ण सुविधा हमारे लिये सहज में और कहीं कहीं हिन्दी में भी उपलब्ध है । ई-कोर्ट के आरंभिक चरणों में अधिवक्ताओं के लिये यह सुविधा बहुत काम की है । हम यहां ऐसे ही इंटरनेट में उपलब्ध सुविधाओं के संबंध में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास करेंगें ।
विदेशों में तेजी से अपनाये जा रहे जन सूचना संचार प्रक्रिया को कुछ हद तक भारत नें भी अपनाया है । कागजों पेनों फिर टाईपराईटरों से क्रमिक विकसित होती कार्यवाहीयॉं, फैसले, नोटीफिकेशन, एक्ट एवं रूल लगभग सभी प्रक्रियायें अब अदालत के कम्प्यूटर की बोर्ड, हार्ड डिस्क से होते हुए इंटरनेट तक पहुच गई हैं । मैं यहां इंटरनेट में उपलब्ध विभिन्न कानून विषयक सामाग्री की लम्बी सूची नहीं देना चाहता वह तो किसी भी सर्च इंजन में मात्र एक क्लिक से करोडों की संख्या में प्राप्त हो जायेंगें किन्तु इनमें से कुछेक की जानकारी मैं अवश्य देना चाहूंगा जिनमें प्रारंभिक रूप से आपको विजिट करना चाहिए । विधि एवं न्याय मंत्रालय की वेबसाईट http://lawmin.nic.in अपने आप में भारतीय न्यायिक सूचनाओं का पिटारा है इसमें दिये गए अन्य लिंकों व पेजों में कानून संबंधी हमारी संपूर्ण जिज्ञासाओं का समाधान है । विधि एवं न्याय मंत्रालय की वेबसाईट (http://lawmin.nic.in) में विधि मंत्रालय से जुडे हुए अन्य विभागों के लिंक हैं जिसमें सव्वोच्च न्यायालय (http://www.indiancourts.nic.in) के विभिन्न नोटीफिकेशन सहित आज तक के संपूर्ण न्याय निर्णय उपलब्ध हैं जिसे विभिन्न खोज विकल्पों सहित उपलब्ध कराया गया है । जुडीज के इस वेब साईट से सव्वोच्च न्यायालय सहित सभी उच्च न्यायालयों के न्याय निर्णय, दैनिक आदेश व पेशी तिथि (http://causelists.nic.in) के संबंध में जानकारी प्राप्त़ की जा सकती है । विधिक सेवा में विशेष क्षेत्रों में सेवा दे रहे अधिवक्ताओं के लिए कम्पनी मामले व बौद्धिक अधिकार कानूनों से संबंधित विभागों के संपूर्ण कार्यालयीन क्रियाकलाप तो अब आनलाईन ही संपादित किये जा रहे हैं ।
छत्तीसगढ उच्चन्यायालय के वेबसाईट (http://highcourt.cg.gov.in) में अन्य विभागीय जानकारी के अतिरिक्त विभिन्न न्यायाधीश भर्ती परिक्षा के फार्म व अन्य जानकारियां भी उपलब्ध हैं । छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के वेवसाईट में जिला एवं सत्र न्यायालयों के वेबसाईट भी दिये गए हैं जहां स्थानीय स्तर पर मामलों के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।
इंडिया कोड (http://indiacode.nic.in) से भारत में प्रभावी संपूर्ण केन्द्रीय कानूनों के सन् 1836 से आज तक के कानूनों के संपूर्ण मूल पाठ यहां से प्राप्त किये जा सकते हैं । डिजिटल लायब्रेरी योजना के तहत् भारत सरकार नें सभी केन्द्रीय कानूनों का मूल पाठ भी यहां उपलब्ध कराया है जिसमें भारत का संविधान का हिन्दी संस्करण भी उपलब्ध है । इस संबंध में विशेष खुशखबरी यह है कि मंत्रालय नें विगत कुछ माह पूर्व ही सन् 2002 के बाद जारी कानूनों का हिन्दी पाठ भी यहां पीडीएफ फारमेट में प्रस्तुत कर दिया है । तो अब 2002 के बाद किसी भी एक्ट या रूल की किताब क्रय करने की आवश्यकता नहीं यहां से जाकर आप इसे मुफ्त में सेव कर सकते हैं ।
कानून के गैर सरकारी वेबसाईटों का तो अंबार है जिसमें अद्यनत कानूनों की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध है । कुछ इसे मुफ्त में उपलब्ध करा रहे हैं तो कुछ न्यूनतम वार्षिक शुल्क पर उपलब्ध करा रहे हैं । इसी प्रकार से न्याय निर्णय के शार्ट नोट तो इन निजि साईटों में मुफ्त में उपलब्ध हैं किन्तु संपूर्ण निर्णय के पाठ के लिये सदस्यता राशि का प्रावधान है । इस संबंध में मेरा सुझाव है कि निजी साईटों की अपेक्षा सरकारी न्याय निर्णय के वेबसाईटों का इस्तेमाल बिलकुल मुफ्त करें । आजकल निर्णय संदर्भों के लिये ख्यातिप्राप्त पब्लिशर्स सीडी में डाटा उपलब्ध करा रहे हैं जो नये उपभोक्ताओं के लिए उपयोग के लिए ठीक है किन्तु यदि आप इनके भारी भरकम शुल्क का वहन नहीं करना चाहते तो नेट कनेक्शन लीजिए और सरकारी वेबसाईटों के खोज विकल्पों का बेहतर उपयोग करते हुए इच्छित न्याय निर्णय मुफ्त में प्राप्त करें जो प्रमाणिक तो होगा ही साथ ही इसके लिए कोई शुल्क अदा नहीं करना पडेगा । इंटरनेट में आनलाईन अधिवक्ताओं की डायरेक्ट्री भी अपलब्ध है जहां आप अपना डाटा डालकर अपने आप को पंजीकृत करा सकते हैं एवं अपनी अंतरजालीय उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं इसके साथ ही सीमित रूप से प्रस्तुत विज्ञापन कीछूट के तहत अपना वेबसाईट विज्ञापन भी कर सकते हैं । आनलाईन चैट के द्वारा कानून विदों से सीधे संपर्क कर कानूनी मसलों पर चर्चा कर सकते हैं ।
इन सब के अतिरिक्त कानून संबंधी विभिन्न अधिवक्ताओं के वेबसाईटें भी इंटरनेट में हैं जिनमें उनके द्वारा आनलाईन व आफलाईन सलाह भी दिये जाते हैं एवं समय समय पर निर्णय एवं सामयिक कानूनी विषयों पर लेख भी प्रकाशित होते रहते हैं । इंटरनेट में ज्ञान व सूचनाओं के एक पक्षीय भंडार व प्रस्तुतिकरण के विरूद्ध समसामयिक परस्पर चिंतन व अपने विचारों की अभिव्यक्ति के रूप में क्रांतिकारी परिर्वतन लाने में ब्लाग नें अपना प्रभावी अस्तित्व प्रस्तुत किया है । यह एक आनलाईन पत्रिका तथा डायरी है जो सभी अंतरजाल प्रयोक्ताओं के लिए उपलब्ध होता है । ब्लाग आजकल आपको अमिताब बच्चन, आमिर खान सहित लालू प्रसाद यादव जैसे हाईप्रोफाईल से रूबरू करा रहा हैं । ब्लाग के इस महत्व को देखते हुए कई भारतीय कानून विदों नें अपना ब्लाग आरंभ किया है जिसमें वे प्रतिदिन कानूनी विषयों पर अपनी राय प्रस्तुत करते हैं । ज्यादातर ब्लाग अंग्रेजी में उपलब्ध हैं किन्तु हिन्दी पाठकों को निराश होने की आवश्यकता नहीं है । अंतरजाल जगत में कानूनी मसलों पर भी कुछ अच्छे नियमित ब्लाग उपलब्ध हैं जिसमें से हिन्दी भाषा में निरंतर लेख प्रकाशित हो रहे हें जिसमें कोटा राजस्थान के अधिवक्ता दिनेशराय द्विवेदी का ‘तीसरा खम्बा‘ (http://teesarakhamba.blogspot.com) एवं लोकेश का ‘अदालत’ मुख्य हैं । कानूनी ब्लाग के रूप में हिन्दी अंतरजान जगत में सर्वाधिक चर्चित ब्लाग है ‘अदालत’ (http://adaalat.blogspot.com) जिन्हें संचालित करते हैं हमारे भिलाई के ही लोकेश जी । लोकेश जी का ब्लाग अदालत, अदालत का एक जीवंत समाचार पत्र है जिसमें संपूर्ण न्याय जगत के ताजा समाचार नियमित रूप से प्रकाशित किये जा रहे हैं । लेखक का भी एक ब्लाग ‘जूनियर कॉंसिल’ (http://jrcounsel4u.blogspot.com) अस्तित्व में है पर अपने आमुख ब्लाग ‘आरंभ’ में नियमित छत्तीसगढ के कला साहित्य व संस्कृति पर सामाग्री प्रस्तुत करने के कारण ‘जूनियर कॉंसिल’ अपडेट नहीं हो पा रहा है ।
आज इस लेख का महत्व आप को इतना विशेष न लगे किन्तु आगामी वर्षों में जब संपूर्ण न्याय प्रणाली आनलाईन हो जायेगी तब सभी के लिए कम्प्यूटर व इंटरनेट एक आवश्यकता होगी । यदि हम समय रहते संचार क्रांति से अवगत नहीं हो पाये तो हम समय से पीछे चले जायेंगे । इसमें सथापित अधिवक्ता तो कर्मचारियों के माध्यम से अपना काम चला लेंगें किन्तु विकासशील अधिवक्ताओं की गति में बाधा अवश्य आयेगी । पिछले माहों में संपूर्ण भारत के न्यायाधीशों को भू पू प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्रीमान आर सी लाहोटी के सुझावों को अमल में लाते हुए 9 जुलाई 2007 को लागू ई-कोर्ट योजना के तहत् लैपटाप के साथ कम्प्यूटर ट्रेनिंग दे दी गई है । आगामी चरणों में सभी न्यायिक कर्मचारी भी कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले हैं फिर बैंकों की भांति अदालत की कार्यवाहियां भी दकियानूसी व विकासविरोधी कर्मचारियों के विरोधों के बावजूद पूर्ण कम्प्यूटरीकृत हो जायेगी और बहुत संभव है कि इससे लंबित मामलों के निराकरण पर भी अच्छा असर पडेगा । जैसे अब बैंकों के सभी कार्य कम्प्यूटर से होने लगे हें । अब पेशी देखो, आर्डर पढो, नकल लो, आवेदन दो सब टच स्क्रीन कम्प्यूटर से । जो अदालतों के गेट पर लगी होगी । हालांकि शुरूआती समय में हम उस पर पान की पीकों की पिचकारी छोडेंगें पर देर सबेर आसमान की ओर मुंह कर थूंके गए थूंक, हमारे ही मूंह पर आयेगी ।
मेरा, मेरे अधिवक्ता बुधुओं से अपील है कि संचार क्रांति के इस युग में अपने आप को अद्यनत करें एवं कम्प्यूटर व इंटरनेट से जुडें । जो तकनीकि जानकार हैं एवं जिन्हें लेखन में रूचि है वे भाई आलोक की ही तरह अपना कानूनी ब्लाग बनाये एवं विश्व स्तर पर अपनी प्रतिभा प्रस्तुत करें । शेष सभी अधिवक्ता कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त करें एवं इंटरनेट का उपयोग सीखें इससे हमारे आफिस की संपूर्ण लाईब्रेरी व आफिस फाईलें सिमटकर हमारे लेपटाप में समा जायेगी और हम माउस के एक क्लिक से कहीं भी बैठकर अपना व्यवसाय दुनिया के साथ कदम पर कदम मिलाते हुए कर सकेंगें । नेट व ब्लागिंग के संबंध में किसी भी प्रकार की तकनीकि जानकारी मेरे ब्लाग ‘आरंभ - अंतरजाल में छत्तीसगढ का स्पंदन’ (http://www.aarambha.blogspot.com) से या मुझसे प्रत्यक्ष संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं ।
आलेख एवं प्रस्तुति -
संजीव तिवारी, अधिवक्ता
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