न्यायाधीश अपनी सम्पत्ति की घोषणा करें -

मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन

नई दिल्ली । भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री के.जी. बालाकृष्णन ने न्यायपालिका में अधिक पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा लाने के लिए उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री के.जी. बालाकृष्णन ने देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर उनसे उच्चतम न्यायालयों के न्यायधीशों की तरह अपनी सम्पत्ति की घोषणा करने को कहा है ।
सर्वोच्च न्यायालय के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी एक समाचार एजेन्सी को दी है । उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्ति के समय और प्रतिवर्ष अपनी सम्पत्ति की घोषणा मुख्य न्यायाधीश के समक्ष करते हैं । इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने ७ मई १९९७ को एक प्रस्ताव पारित किया था ।
मुख्य न्यायाधीश श्री के.जी. बालाकृष्णन ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लिखे पत्र में कहा है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी उच्चत्तम न्यायालय के न्यायाधीशों की तरह ही इस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए । श्री के.जी. बालाकृष्णन ने लिखा है कि एक स्वतंत्र मजबूत और सम्मानित न्यायपालिका और निष्पक्ष न्याय के लिए ये बहुत जरुरी है । उन्होंने अपने पत्र में यह भी कहा है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की तरह न्यायिक जीवन के मूल्यों को बनाए रखना चाहिए। ये न्यायिक मूल्य पहले से चले आ रहे हैं और पूरी दुनिया में स्वीकार्य है ।
इस परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष विवेक रंजन तिवारी ने अभिभाषक वाणी से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के इस प्रस्ताव के पालन से एक स्वस्थ परम्परा की शुरुआत होगी तथा आम लोगों में न्याय पालिक के प्रति आस्था बढ़ेगी । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष व राज्य अधिवक्ता संघ के सदस्य श्री यशवंत तिवारी ने इसे स्वागत योग्य बताते हुए कहा कि इससे जन सामान्य में न्यायधीशों व न्याय पालिका के प्रति सम्मान व विश्वास बढ़ेगा ।
जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग की अध्यक्षा सुश्री नीता जैन ने कहा कि इस परम्परा को निचली अदालतों में भी लागू करना आज के संदर्भ में उचित होगा ताकि न्याय के मंदिर में आम आदमी का विश्वास बरकरार रहे ।
दुर्ग जिला न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता जनार्दन प्रसाद शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश श्री के.जी. बालाकृष्णन द्वारा प्रस्तावित उक्त कथन को एक अत्यन्त सराहनीय कदम निरुपित करते हुए कहा कि न्याय की सत्यता को हमेशा सामने रहना चाहिए तथा न्यायधीशों द्वारा अपनी सम्पत्ति को प्रदर्शित करना न्याय की गरिमा को और बढ़ायेगा ।

स्वतंत्र, मजबूत और सम्मानित न्यायपालिका हेतु
सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र

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