हमारा दायित्व एवं संकल्प

विवेक रंजन तिवारी, अध्यक्ष
छ.ग. राज्य अधिवक्ता परिषद

स्वतंत्रता प्रत्येक स्त्री व पुरुष की आत्मा में निवास करती है यदि वे खत्म हो जाएं, तो विश्व का कोई संविधान, कानून अथवा न्यायालय उन्हें बचा नहीं सकेगा, मात्र अधिवक्ता ही ऐसा व्यक्ति है जो इस देश की रक्षा कर सकता है ।
इस प्रकार विधि व्यवसाय केवल व्यवसाय ही नहीं अपितु देश भक्ति का विशुद्ध कार्य होकर अधिवक्ता के कर्त्तव्य में समाहित होता है जिसके क्रियान्वयन एवं मार्गदर्शन में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, पं. मोतीलाल नेहरु, बैरिस्टर छेदीलाल द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत व राज्य विधिक परिषद एवं अधिवक्ता संघों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।
राज्य विधिक परिषद प्रदेश के अधिवक्ताआें में एकता उन्नति तथा सामंजस्य स्थापित कर एवं उनके व्यवसायिक, पारिवारिक एवं सामाजिक समस्याआें के दूर करने हेतु कृतसंकल्पित है, जिस हेतु परिषद की मंशा है कि सम्पूर्ण प्रदेश के अधिवक्ता संघों की कार्यविधि को एक रुपात्मक संविधान के अधीन क्रियान्वित किया जावे जिसके परिणामस्वरुप परिषद् व प्रदेश के अधिवक्ता संघ में एक समान कार्यवाहियों का संचालन हो तथा सभी पर परिषद् के प्रति एवं विधि व्यवसाय के प्रति उत्तरदायित्व निरुपित हो । एकरुपात्मक संवैधानिक व्यवस्था का हमारे प्रदेश के अधिवक्ता संघों द्वारा आत्मार्पण किये जाने से ही हम प्रदेश के अधिवक्ता सामान्य की व उसके संघ की समस्त समस्याआें का निदान सकारात्मक एवं सहज तथा त्वरित रुप से कर सकेगें।

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